बुधवार, 21 अगस्त 2019

छंद-जननी जनक भूला दें

उन्नति की शिखर पे चढ़ते रहिए किंतु
जमीं से कभी भी जुड़ा रिश्ता मत तोड़ना!

तेरी नींद के लिए जो जागे सारी रात प्यारे
उन बागबानों से कभी न मुख मोड़ना !

स्वार्थ के लिए भूला दे जननी जनक दोनों
ऐसी कामिनी से तार प्यार के न जोड़ना !

उंगली पकड़के जिन्होंने चलना सिखाया
जिंदगी में उनका तू हाथ नही छोड़ना !!

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