गुरुवार, 7 जनवरी 2021

गरीबी(विधाता छंद)

नही वे जानते मस्जिद न जाने है शिवालें को |
न जाने रेशमी कपड़ें न जाने है दुशालें को |
महल की चाह ना उनको ,न दौलत और जेवर की,
गरीबी जानती है सिर्फ इक भाषा निवाले की ||

सुनिल शर्मा"नील"

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