शुक्रवार, 13 मई 2022

वो मलेच्छ नयनों का डर शिवराय था(शिवाजी पर मनहरण घनाक्षरी)

काँपे अरिदल जिन्हें देखकर थरथर
सिंह के समान ऐसा नर शिवराय था |

नर गरजन कर रण भू में हर-हर
जीत लेता आधा वो समर शिवराय था|

समर लड़ा जो भगवा को निज शीश धर
पीर भारती का लेने हर शिवराय था |

हरता था आत्मा चलाये बिना तलवार
वो मलेच्छ नयनों का डर शिवराय था ||







 




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