सरसी छंद- 1
सरस्वती वंदना
(सुधार के बाद)
शारद मइया बंदत हावँव, तोला बारंबार |
अंधकार के नाश करव माँ, करव ज्ञान उजियार ||
गीत,-छंद -रस बर किरपा हो, पावँव शब्द बिधान |
तन-मन आवय काम देश के, अइसन दव वरदान ||
स्वर देवव माँ मोर कंठ ला, गावँव भारत गीत |
बनय मोर कबिता हा मरहम, बगरै सदा पिरीत ||
जस ला गावँव मैं किसान के, लिखँव बीर के त्याग |
लिखँव मया के ढाई आखर, देशभक्ति के राग ||
नारी के सम्मान लिखँव मैं, अउ बैरी बर आग |
पबरित रहय मोर चोला हा, लगय कभू झन दाग ||
कफ़न तिरंगा मिलय देंह ला, जब छोडँव संसार |
बहै देश मा अमन चैन के, सुग्घर निरमल धार ||
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया
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