मंगलवार, 11 मई 2021

सरस्वती वंदना( सरसी छंद 2)

सरसी छंद- 1
सरस्वती वंदना
(सुधार के बाद)

शारद मइया बंदत हावँव, तोला बारंबार |
अंधकार के नाश करव माँ, करव ज्ञान उजियार ||

गीत,-छंद -रस बर किरपा हो, पावँव शब्द बिधान |
तन-मन आवय काम देश के, अइसन दव वरदान || 

स्वर देवव माँ मोर कंठ ला, गावँव भारत गीत |
बनय मोर कबिता हा मरहम, बगरै सदा  पिरीत ||

जस ला गावँव मैं किसान के, लिखँव बीर के त्याग |
लिखँव मया के ढाई आखर, देशभक्ति के राग ||

नारी के सम्मान लिखँव मैं, अउ बैरी बर आग |
पबरित रहय मोर चोला हा, लगय कभू झन दाग ||

कफ़न तिरंगा मिलय देंह ला, जब छोडँव संसार |
बहै देश मा अमन चैन के, सुग्घर निरमल धार ||

सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया

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