मोर पंख
रविवार, 23 मई 2021
मुक्तक-7(विरहा के पावक में जलते)
मुक्तक-7
साँसों का घट तुम बिन मेरा देखो कैसे रीत रहा |
हार रहा आशा का दीपक दुख का तूफ़ा जीत रहा |
चाह मिलन की लिए अधूरी तुमसे ना मर जाऊँ मैं,
विरहा के पावक में जलते हरपल मेरा बीत रहा ||
सुनिल शर्मा"नील"
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