मोर पंख
शुक्रवार, 14 मई 2021
सभी कर्तव्य है भूला(विधाता 4)
मनुज तू लाँघकर सीमा बहुत था गर्व से फूला |
किया दूषित पवन-जल को, सदा ही स्वार्थ में झूला |
धरा पर हक सभी का है, दिया था मंत्र दाता ने,
विधाता मान कर खुद को, सभी कर्तव्य है भूला ||
सुनिल शर्मा "नील"
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