जयकारी छंद
प्रथम प्रयास-1
जय हो माता दुर्गा तोर |
पापी मन के बाढ़त जोर ||
कलयुग आ गे हावय घोर |
बैरी मन के नसबल टोर ||
महिषासुर घर-घर मा आज |
बेटी मन के लूटत लाज ||
चीथत बेटी ला बन बाज |
वध कर ईंकर लाव सुराज ||
करत कोख मा हे चित्कार |
बेटी मन हर करत पुकार ||
लोभी होगे हे संसार |
आ जा दाई ले अवतार ||
बेटा-बेटी एक समान |
अंतर दूनो मा झन जान ||
समझव रे मनखे नादान |
कहलाबे तब तय ईंसान ||
सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया
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