रविवार, 11 जुलाई 2021

कुकुभ छंद(गाँव छोंड़ के जावत हावस)

*कुकुभ छंद प्रयास-1*
       *गाँव*
*(सुधार के बाद)*

*गाँव छोड़ के जावत हावस*, *पाछू बड़ पछताबे गा*|
*दया मया अउ मेल गाँव कस*, *कहाँ शहर मा पाबे गा* ||

*धनहा डोली हवय गाँव मा*, *छाँव हवय अमराई के*|
*ग्वाला के बंशी के सुर हे*, *मया बाप अउ दाई के* ||
*देख गाँव मा हरियाली हे*, *अउ ममहावत माटी हे*|
*गिल्ली डंडा भटकउला हे, भौंरा खो-खो बाँटी हे*||
*सुआ ददरिया गीत भूल झन*,
*डिस्को मा भरमाबे गा*|
*गाँव छोंड़ के जावत हावस, पाछू बड़ पछताबे गा*||   |1|

*खेती बारी के बूता हर, लागत तोला भारी हे*|
*जे माटी मा खेले कूदे, लागत ओ बीमारी हे*||
*जब ले गे हस आन शहर मा, सुन्ना गाँव हवय भाई*|
*सुरता करके आँसू झरथे , बड़ रोवत रहिथे दाई* ||
*दाई के कोरा सुरता कर, जब तैं हा खो जाबे गा*|
*गाँव छोंड़ के जावत हावस, पाछू बड़ पछताबे गा*||  | 2|

*कचरा,धुआँ,प्रदूषण हावय, शहर मा झगरा दंगा हे*|
*जेवन सादा हवय गाँव मा, नदिया जइसे गंगा हे*||
*गाँव खड़े रहिथे सुख-दुख मा, काम सबो के आथे रे*|
*शहर हवय मतलब के साथी, गीत लोभ के गाथे रे* ||
*मर जाबे कोनो नइ पूछय, शहर कभू झन जाबे गा|*
*गाँव छोंड़ के जावत हावस, पाछू बड़ पछताबे गा*||  |3|



*भीड़ भाड़ के जंगल मा जब, रहि के मन जब थक जाही* |
*शोर-शराबा ला सुन के जब, माथा हा तोर पिराही*||
*दोसा पीजा चाउमीन मन, चारे दिन तोला भाही*|
*लोभ कपट अउ स्वारथ ले जब, दुख तोरे अंतस पाही*||
*भोलापन ला अपन गाँव के,*मन मा तैं सोरियाबे गा*|
*गाँव छोड़ के जावत हावस, पाछू बड़ पछताबे गा* || |4|


*सुनिल शर्मा नील*

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