शुक्रवार, 2 जुलाई 2021

सवैया -3(राम जी भरत मिलाप)

सवैया-3

चौदह बर्ष बिता वनवास कहूँ तुरतै निज धाम न आहू |
मारग मध्य विलंब प्रभू करहूँ तव आप बड़ा पछताहू |
याद रहे प्रण मोर सियापति उक्ति कभू मत भ्रात भुलाहू |
दर्शन दूसर वार न देत प्रभू निज जीवन मोर गवाहूँ ||

*वार=दिन*

सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें