सवैया-3
चौदह बर्ष बिता वनवास कहूँ तुरतै निज धाम न आहू |
मारग मध्य विलंब प्रभू करहूँ तव आप बड़ा पछताहू |
याद रहे प्रण मोर सियापति उक्ति कभू मत भ्रात भुलाहू |
दर्शन दूसर वार न देत प्रभू निज जीवन मोर गवाहूँ ||
*वार=दिन*
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
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