सवैया -6
(वशिष्ठ जी चारों भाइयों का नामकरण करते हुए दशरथ जी व रानियों से कहतें है)
*राम* जपै सुखधाम मिलै सुत तोर बड़े जग भार उठाहिं।
दूसर पूत बड़ा धरमी जगपालक *भारत* नाम धराहिं |
*लक्ष्मण* तीसर पुत्र तुम्हार नरेश सुनौ गुणग्राम जनाहिं |
काँपय शत्रु सुनै जब नाम कनिष्ठ *अरिंदम* नाम कहाहिं ||
अरिंदम=शत्रुघ्न
सुनिल नील
(छत्तीसगढ़)
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