(अयोध्या वापसी पर लखन लाल से भरत जी कहतें है)
छाँह बने तुम राघव के अरु त्याग दिए
सुख नींद तिहारो |
राम-रमा पथ के सब कंकड़ कंटक बीन सदा तुम टारो |
राम सनेह सभी हम पाय नही पर तोर समान दुलारो |
लक्ष्मण भाग बड़े तुँहरे रघुनायक के नित पाँव पखारो ||
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
8839740208
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें