मनखे मन के भेस बना के, बइठे गिद्ध शिकारी हे|
भारत माता ला चीथत सब, पापी भ्रष्टाचारी हे ||
अत्याचार करत हे देखव , जेब अपन भर के भारी|
लालच के इन आवय रोगी, नइ तो जानय लाचारी||
काम कराये पइसा होना, तब फाइल सरकाथे जी |
नैतिकता ले कोसो दुरिहा, रिश्वत इन ला भाथे जी*
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रिश्वत सेती अनुकम्पा बर, ठोकर ला विधवा पाथे |
पेंशन खातिर नत्थू -फत्तू , आफिस मा गारी खाथे||
बगरे हावय हमर देश मा, लाइलाज ये बीमारी |
गाँव शहर आफिस संसद मा, अमरबेल कस गद्दारी||
रिशवतिहा मन नेता साहब, अउ नौकर सरकारी हे|
बाहिर दिखथे देशभक्त अउ, भीतर हिस्सेदारी हे ||
जल जमीन जंगल ला बेंचत, ईमन स्वारथ ला भाथे|
जुरमिल दानव मन जम्मों झन, गौ के चारा ला खाथे ||
संविधान ला कुछ नइ समझय, कभू कहाँ इन डर्राथे |
नेता मन के संरक्षण मा, बल जम्मों बैरी पाथे |
स्विसबैंक मा रूपया खरबो, जनसेवक कहलाथे गा|
जानत हे भारत के बोटर, पइसा मा बिक जाथे गा||
नैतिकता ला बेंच खाय हे, लाज कहाँ इन ला आही|
तभे सुधरही अइसन दुख जब , ईखर घर कोनो पाही ||
सड़क बाँध पुलिया भसके मा, कतको जीव गँवा जाथे |
तभो कहाँ ये पापी मन के, चिटकुन दुख मन मा आथे ||
बन्द करव अब लेन देन ला, भ्रष्टाचार मिटाना हे |
अपन काम करवाए खातिर, लाइन भले लगाना है||
उमर कैद के सजा मिलय जे, रिश्वत मा पकड़े जावै|
देवइया लेवइया मन ले, डाँड़ इहाँ बड़का पावै ||
संसद मा सब दल के सुमता , होना बहुत जरूरी हे|
रिश्वत लोभी ला रोटी कस , पोना बहुत जरूरी हे||
*सुनिल शर्मा"नील"*
*थान खम्हरिया*
*8839740208*
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