सवैया प्रयास-7
(विश्वामित्र जी यज्ञ व ऋषियों के रक्षार्थ दशरथ जी से राम को मांगते है इस पर दशरथ जी कहतें है)
राम सुकोमल बाल अबोध कहाँ यह काज भला कर पाहिं |
रावण वेग न देव सहै सुत मोर प्रहार कहौ सहि जाहिं |
दानव के छल-छिद्र बलाबल तोड़ निषंग कहाँ वह लाहिं |
लेकर मैं निज सैन्य समूह चलूँ तव रक्षण
कानन माहीं ||
निषंग= तरकश
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया
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