शुक्रवार, 5 मार्च 2021

खून(कुण्डलिया 9)

कुण्डलिया सृजन 9
*खून*
(सुधार के बाद)
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सबके नस मा एक हे, लाल लहू के रंग |
काबर होथे फिर इहाँ, जात-पात के जंग ||
जात-पात के जंग,भेद ला सबझन छोड़व |
टूटत हे परिवार, मया के नाता जोड़व ||
सब ला मिलय अगास, रहय झन कोनों दब के |
जुरमिल होय विकास, हमर भारत मा सब के ||
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सुनिल शर्मा

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