छप्पय छंद प्रयास
*नक्सल समस्या -1*
सुधार के बाद
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बेटा मन रणवीर, खून के खेलत होली |
होवत हवय शहीद, दिनोदिन खा के गोली ||
बाढ़त नक्सलवाद, हँसत पापी मन भारी |
होवय इँखरो नाश, होत बस निमगा चारी ||
मानवता के जेंन भी, दिखथे इहाँ खिलाफ हे |
खोज-खोज के मार के, उन ला करना साफ हे |
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सुनिल शर्मा"नील"
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