छप्पय -2
विषय-गर्मी
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गरमी के दिन आय, घाम हर खूब
जनावय |
सड़क दिखय सुनसान, ठहरना घर मा भावय ||
खोजय सबझन छाँव, पसीना बड़ चुचवावय |
खीरा ककड़ी संग, कलिंदर खूब
खवावय ||
तरिया नदिया बोर सब, देवत हवय जवाब
अब |
मनखे तुँहर पाप के, होवत हवय हिसाब
अब |
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सुनिल शर्मा
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