चौपाई छंद प्रयास- 1
जनसँख्या
जनसँख्या विकराल बढ़त हे |
धरती ऊपर भार बढ़त हे ||
होत शहर मा भीड़-भाड़ हे |
गाँव सबो होवत उजाड़ हे ||
गायब होवत हावय जंगल |
पानी बर माचत हे दंगल ||
खेत-खार हावय नंदावत |
पाट-पाट उद्योग बसावत ||
तरिया नदिया कुँवा पटागे |
मनखे मा शैतान अमागे ||
चारागाह सबो छेकावत |
गौ माता मन जीव गँवावत ||
बेटी मन ला आप पढावव |
जागरूकता ला फैलावव |
जनसँख्या मा रोक लगावव |
खुद के संग मा देश बढा़वव ||
एक कड़ा कानून बनावव |
जनसँख्या मा रोक लगावव |
तभे नवा भारत बन पाही |
जब सब्बो ये धरम निभाही ||
सुनिल शर्मा "नील"
थान खम्हरिया
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें