शुक्रवार, 6 अगस्त 2021

जलहरन घनाक्षरी(खेलभावना)

प्रीत की परंपरा ही ,   रही सदा भारत की
किसी से कभी भी बैर, ठानते नही है हम |

सत्य, अनुराग सदा , है  हमारी पहचान
बेगुनाहों पर शस्त्र, तानते नही है हम |

खेलभावना के संग ,खेलतें है खेल सदा
छल छिद्र द्वेष कोई ,जानतें नही है हम |

लाख मिले दर्द ,गम , घाव से भरा हो तन
मन से कभी भी हार, मानते नही है हम ||

सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)

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