शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020
जगत को जो करे कल्याण(विधाता-गीता जी )
अटल बिहारी अटल रहे
मंगलवार, 22 दिसंबर 2020
मुक्तक-विधाता( क्रमांक 1)
गुरुवार, 17 दिसंबर 2020
अकड़ वाले तरु तूफान(मुक्तक़ विधाता)
बुधवार, 16 दिसंबर 2020
मुक्तक-किसान(विधाता छंद)
मंगलवार, 8 दिसंबर 2020
विधाता छंद -1(किसान)
गुरुवार, 3 दिसंबर 2020
समय-छंद पादाकुलक
शनिवार, 14 नवंबर 2020
दोहा-२३,,,,
हमें दे दी दिवाली खून से जो खेलकर होली-मुक्तक(विधाता छंद)
गुरुवार, 12 नवंबर 2020
कुंडलियाँ-कार्य से पहले सोंचो
दिवस शरद के आ गए-कुंडलियां
शब्द सम्पदा-अन्न,सन्न,आसन्न
बुधवार, 11 नवंबर 2020
करो ना तानाशाही
मंगलवार, 10 नवंबर 2020
लक्ष्मण जनक जी संवाद(स्वयंवर)
सोमवार, 9 नवंबर 2020
दोहा १८
दोहा 15
दोहा 14 जीवजंतु ला मारके
दोहा -१६ बनके आगी
दोहा -१७
रविवार, 8 नवंबर 2020
महावर देख सके पाँव के,,,
शुक्रवार, 6 नवंबर 2020
दोहा 13
गुरुवार, 5 नवंबर 2020
कुंडलियां-शरद
मंगलवार, 27 अक्टूबर 2020
तुझे मैं जान से बढ़कर स्वयं से,,,
शनिवार, 24 अक्टूबर 2020
तब राम ,राम से श्रीराम बन पाता है,,,,
गुरुवार, 15 अक्टूबर 2020
गंगाजल होती नारियाँ
सोमवार, 12 अक्टूबर 2020
एकमामले में मौन
शनिवार, 10 अक्टूबर 2020
बजरंग बली का चरित्र,,,,,
शनिवार, 3 अक्टूबर 2020
लाल लाल कर आँखें,,,,,
सोमवार, 28 सितंबर 2020
कृपाण घनाक्षरी-भगतसिंह
शुक्रवार, 25 सितंबर 2020
तुम ही तो आधार बनी हो,,,,
गुरुवार, 10 सितंबर 2020
कुंडलियां-तपता जो संसार में
शब्द संपदा-पट,कपट,लपट
शब्द सम्पदा-दोहे चक्षु, प्रशिक्षु,मुमुक्षु
बुधवार, 9 सितंबर 2020
शब्द सम्पदा-व्यथा,कथा,प्रथा
शब्द सम्पदा-यान, ध्यान,म्यान
सोमवार, 7 सितंबर 2020
घनाक्षरी-रिया
रविवार, 6 सितंबर 2020
सिंहावलोकन -कोरोना
शनिवार, 5 सितंबर 2020
शनिवार, 29 अगस्त 2020
बुधवार, 26 अगस्त 2020
बुद्ध दिया है-छंद
मंगलवार, 25 अगस्त 2020
शिखर पर भी,-मुक्तक
कुंडलियाँ-जिन पर उसे घमंड था
न्यायालय में राम के,,,
रविवार, 23 अगस्त 2020
शनिवार, 22 अगस्त 2020
शुक्रवार, 21 अगस्त 2020
दोहा-ईश्वर का न्याय
पति पत्नि-कुंडलियां
कुंडलियां-चक्की
गुरुवार, 20 अगस्त 2020
दोहा
सोमवार, 10 अगस्त 2020
हर माइक वाले को
बौने
रविवार, 9 अगस्त 2020
सीमाएं है घाव
शुक्रवार, 7 अगस्त 2020
बहन से वादा
बुधवार, 5 अगस्त 2020
रघुवीर ऐसी युक्ति तुम
मंगलवार, 4 अगस्त 2020
रामराम रांममय पूरा देश हो गया
सोमवार, 3 अगस्त 2020
महत्ता रेशमी डोरी की हरगिज,,
रविवार, 2 अगस्त 2020
राममंदिर बनेगा अब न्यारा है,,,
शनिवार, 1 अगस्त 2020
दमदार दिल्ली
मंगलवार, 21 जुलाई 2020
मौन की भाषा समझती हो,,,
माँ पिता के पाँव
सोमवार, 15 जून 2020
अमित भाई को जन्मदिन की बधाई
गरीबी देख तूने घर का बचपन
अपना खोया है !
सुलाया मुझको फूलों में स्वयं कांटों में
सोया है!
मुझे डाँटा किया हरदम मेरी गलती पे
भाई तू,
फिर उसके बाद कोने में तू जाकर
स्वयं रोया है !!
सुनिल शर्मा "नील"
मंगलवार, 2 जून 2020
2 जून
करे जो न्याय सबके साथ वह कानून तो दे दो !
मिटाए रूह की जो प्यास वह मानसून तो दे दो !
गई सरकार कितनी भूख यह लेकिन न मिट पाई,
जरा इन ताकती आंखों को रोटी 2 जून तो दे दो !!
सोमवार, 1 जून 2020
धरती के भगवान
कतको के खाले संगी,होटल के पिजादोसा
दाई के ओ भात कस,नई तो मिठाय जी
सुनले संगीत चाहे,दुनिया के कतको तै
दाई के ओ लोरी कस,कभू नही भाय जी!
खुद भूखे रहिके अपन कौरा ल खवाथे
अइसन दाई के कभू आंसू झन आय जी
धरती के भगवान,दाई हरे पहिचान
जेखर ममता बर, देव भी ललाय जी!!
सुनिल नील
गुरुवार, 21 मई 2020
राम जी के होने का प्रमाण
राम जी के होने का जो मांग रहे थे प्रमाण
सारे पापी आँखें फाड़-फाड़कर देख लें !
जिनके दिमाग में थी वर्षों से धूल जमी
गर्द सारे अपनें वे झाड़कर देख लें !
मंदिर के अवशेष कह रहे चीख-चीख
शंकाओं को सत्य से पछाड़कर देख लें!
कण कण में रमें है अवध में राम मेरे
पत्थरों को चाहे तो उखाड़कर देख लें !!
कवि सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छतीसगढ़)
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मंगलवार, 12 मई 2020
सत्ता में जो खुद किये,,,,,
रहता पक्ष विपक्ष में आपस में अनुबंध !
राजनीति गंदी हुई,उठती अब दुर्गंध!
जनता से ये नेह की,करते दोनों बात,
सत्ता में जो खुद किये,अब माँगें प्रतिबंध !
रविवार, 10 मई 2020
दिखावे की मिली है,,,
न धोने ही पड़े कपड़े न कोई
डांट खाई है !
सुबह से आज क्यों उसकी सभी को
याद आई है !
पढ़ी कुछ भी नही है माँ मगर सबकुछ
समझती है,
दिखावे के दिवस की आज यह
उसको बधाई है !!
रविवार, 3 मई 2020
जो अधिकारी है फूलों के,,,
देश के खातिर जीना मरना,सब कुछ है स्वीकार किया !
अपने प्राणों पर खेलें है,सबका है उपचार किया !
पर कुछ घर के गद्दारों ने,नीचों वाला काम किया,
जो अधिकारी है फूलों के ,उनपे पत्थर वार किया!!
सोमवार, 20 अप्रैल 2020
नील के दोहें-1
अंक
*****
जबसे गोरी लग गई,आकर मेरे अंक
मैं अमीर तबसे हुआ,रहा नही अब रंक!
कंक
*****
रखना मन में धैर्य को,जैसे रखता कंक
कार्य सिद्ध होंगे तेरे,निश्चित और निशंक
पंक
****
जो मन में रखते सदा,ईर्ष्या का है पंक
उनसे दूरी ही भली,जाने कब दे डंक!!
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया
सिंह वाली छाप है
हैवानों के ताप से है,भारत संतप्त आज
किंतु मौन कैसे बैठे,सीएम जी आप है !
कानून भी हाथ बांध,भूला हुआ है कर्तव्य
सड़कों पे नाच रहे,शैतानों के बाप है!
हिन्दू शेर की धरा पे,साधुओं का हुआ कत्ल
और आप कुरसी का,ले रहे जी नाप है
न्याय कीजिये हे राजा,और ये बताइये कि
आप में पिता के जैसे,सिंह वाली छाप है!!
कवि सुनिल शर्मा नील
थानखम्हरिया
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गुरुवार, 16 अप्रैल 2020
घाव यह बन जाए नासूर,,,,
कडवें पर सच्चे दोहें
..........
पत्थरबाजो का हुआ,चरम देश में पाप
इनको ऐसा दंड दो,रूह भी जाए काँप !
नर्सों पर जो थूककर,करतें पापाचार
गिरेबान उनके पकड़,भेजो कारागार
कोरोना से भी बुरा,यह मकरजी जमात
पृष्ठभाग पर दीजिए,इनके जमकर लात!
जो कलाम को छोड़के,पूजे अफजल चित्र
वे कैसे होंगे भला,भारत के जी मित्र
चुप रहकर जो शत्रु को,शह देतें दिनरात
उनके असली चाल को,समझो सारे भ्रात
मंजिल में थे हम मगर,जीत न पाए पाँव
जिसका डर था वो हुआ,मिला हमें फिर घाव
इससे पहले घाव यह,बन जाए नासूर
इनके सारे हौसलें,मिलकर करिए चूर!
कवि सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़)
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सोमवार, 13 अप्रैल 2020
हिंदी सजल
🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸
*हिन्दी सजल विधा*
हिन्दी गजल के समकक्ष हिन्दी *सजल* एक नयी काव्य विधा है । इसको उर्दू के वह्रों से मुक्त रखा गया है । गजल के व्याकरण की जटिलताओं से मुक्त रखा गया है । सजल, शिल्प के अपने मानकों पर सृजन का मार्ग प्रशस्त करती है । इसके शिल्प में तीन बातें ही मान्य की गयी हैं -
1.समान मीटर अर्थात सभी पंक्तियों का मात्रा भार समान हो ।
2.सभी पदिकों की कोई भी निश्चित लय की एक रूपता हो ।
3.कहन मुक्तक वाली एवं कसावट पूर्ण हो, गीत वाली न हो ।
❣❣❣
हिन्दी गजल से सजल का कोई विरोध नहीं है । सजल में उर्दू के दुरूह शब्दों का प्रयोग अमान्य है । सिर्फ बोलचाल के सरल उर्दू शब्द मान्य हैं ।
❣❣❣
सजल के अंगों को हिन्दी में बोलने के लिए नामकरण इस प्रकार किया गया है -
गजल = सजल
गजलकार = सजलकार
शेर = पदिक
काफिया = समांत
रदीफ = पदांत
मुरद्दिफ = सपदांत
गैर मुरद्दिफ = अपदांत
मतला = आदिक
मक्ता = अंतिक
मिसरा = पल्लव(पंक्ति)
वज्न = मात्रा भार
❣❣❣
🌷जय हिन्द🌷जय हिन्दी🌷
नील के सजल-हो पवित्र गंगा सी पावन
सजल सादर प्रस्तुत-
समांत - ईल
पदांत- कहूँ मैं
मात्राभार-16
🙏🙏
सागर तुमको नील लिखूँ मैं
संस्कारी सुशील लिखूं मैं!
हो पवित्र गंगा सी बिल्कुल
आंखों को क्या झील कहूँ मैं।
मैं पतंग सा प्रियतम तेरा
मत दो मुझको ढील कहूँ मैं।
कोई ताकें पथ में तुमको
उन सबको क्या कील कहूँ मैं!
अंधेरे राहों का सहारा
क्या तुमको कंदील कहूँ मैं!
सुनिल नील
रविवार, 12 अप्रैल 2020
जो श्रम करके स्वयं के श्रेय को
जो श्रम करके स्वयं के श्रेय को औरों को देता है !
फंसे नैया किसी की जब भी तब आकर के खेता है !
धड़कता है हृदय जिनका सदा परमार्थ की खातिर ,
वो मर जातें है पर यह जग सदा नाम उनका लेता है!!
रविवार, 5 अप्रैल 2020
आओ दीप हम जलायें आज द्वार द्वार पे,,,
हार जाएगा अंधेरा एकता के वार से
आओ दीप हम जलाए आज द्वार-द्वार पे !
है समय बड़ा विकट,अंधेरा ये बलवान है
पथ बड़े विरान है,गली भी सुनसान है
क्या धनिक कि क्या विपन्न सारे परेशान है
कोरोना बना रहा धरा को शमशान है
राजनीति छोड़कर करें ये काम प्यार से
आओ दीप हम जलाएं आज द्वार द्वार पे!
मौत को हरा रहे जो यह जले उनके लिए
जो फँसे हुए कहीँ है यह जले उनके लिए
कर्मवीर जो लगे है यह जले उनके लिए
जो खड़ें है सरहदों पे यह जले उनके लिये
न झुकें थें न झुकेंगे कहेंगे ये संसार से
आओ दीप हम जलाए आज द्वार द्वार पे!
यह दीया प्रतीक है अकेलेपन के नाश का
जीत की सुगंध का व हर्ष के आभास का
यह दीया सनातन में आस्था का अंग है
इसमें श्रद्धा,आशा,संकल्प के भी रंग है
दुःख के पलों में बनें हम खुशियों के बौछार से
आओ दीप हम जलाए आज द्वार द्वार पे!!
कवि सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
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शनिवार, 4 अप्रैल 2020
कलयुग ये दैत्य
मानवता के दूत पर,थूक रहे जो लोग
इनको मृत्युदंड मिले,धरती के ये रोग !
धरती के ये रोग,मिले उपचार न इनको
वे सारे गद्दार,पसन्द भारत न जिनको
कहें नील कविराय,भरी इनमें दानवता
कलयुग के ये दैत्य,नही भाएँ मानवता!!
गुरुवार, 2 अप्रैल 2020
तू तब भी जागता है
बिताए संग जो पल थे,उन्हें अक्सर सँजोती हूँ !
तेरी जब याद आती है,मैं पलकों को भिगोती हूँ !
मेरी साँसों में,मेरी रूह में ऐसा बसा है तू ,
तू तब भी जागता है मुझमें जब रातों को सोती हूँ !!
बुधवार, 1 अप्रैल 2020
तू तब भी जागता है
बिताए संग जो पल थे,उन्हें अक्सर सँजोती हूँ !
तेरी जब याद आती है,मैं पलकों को भिगोती हूँ !
मेरी साँसों में,मेरी रूह में ऐसा बसा है तू ,
तू तब भी जागता है मुझमें जब रातों को सोती हूँ !!
मंगलवार, 31 मार्च 2020
सोमवार, 30 मार्च 2020
बीतेगी यह काली रात(आल्हा)
"बीतेगी यह काली रात"
(आल्हा छंद में प्रयास)
कोरोना है बड़ा भयंकर,नही निकलिए घर से आप-!
निकलेंगे तो होगा खतरा,भूल से न करिए यह पाप !!
हाथ जोड़कर करे नमस्ते,नही मिलाए कोई हाथ !
बार-बार धोएँ हाथों को,रहें प्रशासन के हम साथ !!
रखिए सादा खान-पान को,मानव होकर बनो न काग !
जबसे पशुता को अपनाया,जग में लगी तभी से आग !!
कोई भूखा हो पड़ोस में,उनकी क्षुधा करें हम शांत !
मजदूरों की भी हो चिंता,फँसे हुए जो दूजे प्रांत !!
जो विदेश से होकर आए,नही छुपाए कोई बात !
रहे पृथक खुद को जो घर में,फैल न पाएगा यह भ्रात !!
दुनिया ने है टेके घुटने,पर हम न खाएंगे मात !
जीतेगा भारत निश्चित ही,बीतेगी यह काली रात !!
कवि सुनिल शर्मा "नील"
थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़)
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रविवार, 29 मार्च 2020
मंदिरों का हिसाब
जिन्हें पढ़ना नही आता किताब मांग रहे है!
जिन्हें प्रश्न पूछने का सलीका नही जवाब मांग रहे!
कभी कौड़ी न चढ़ाई जिन्होंने मंदिर की दानपेटी में,
ऐसे भीखमंगे मंदिरों का हिसाब मांग रहे है!!
सुनिल नील
शनिवार, 28 मार्च 2020
अनंग हो गया हूँ मैं
अंग-अंग में लगन प्रेम की लगाई ऐसी
रति हो गई है तू अनंग हो गया हूँ मैं !
देकर उमंग नवप्राण है प्रदान किया
शांत झील का जैसे तरंग हो गया हूँ मैं
हृदय हिरण पाके भरता कुलांचे अब
मिल गई जबसे मलंग हो गया हूँ मैं
रंग लेके आसमा में उड़ता हूँ खुशियों के
डोर हो गई है तू पतंग हो गया हूँ मैं
संग,जंग,रंग,ढंग,पतंग,मलंग,तुरंग,तंग,ल
संग संग रहती हो जीवन में रंग बन
शुक्रवार, 27 मार्च 2020
मिला तेरा सहारा,
फटी चादर दुःखों से थी उसे सीने
लगी हूँ मैं !
गमों के आंसूओं को हँसके अब पीने
लगी हूँ मैं !
मिला तेरा सहारा जिंदगी को जबसे
हे प्रियतम ,
तुझे पाकर के दुगुना देखना जीने
लगी हूँ मैं !!
बुधवार, 25 मार्च 2020
तू स्वाति और मैं चातक हूँ जग से,,,,,
तू स्वाति और मैं चातक हूँ जग से कह न पाऊँगा !
विरह का दुख तुम्हारा मैं कभी भी सह न पाऊंगा !
कभी गुस्से में भी कह दूं अकेला छोड़ दो मुझको ,
न तन्हा छोड़ना मुझको मैं तुमबिन रह न पाऊँगा !!
कवि सुनिल नील
मैं स्वाति हूँ
मैं स्वाति है तू चातक हूँ तेरे बिन रह न पाऊँगा !
मोहब्बत है मुझे तुमसे किसी से कह न पाऊंगा !
कभी गुस्से में भी कह दूं अकेला छोड़दो मुझको,
नही तुम छोड़ना ये हाथ तुमबिन रह न पाऊँगा !!
कवि सुनिल नील
शनिवार, 21 मार्च 2020
तोड़ना मिलकर हमें है कोरोना की यह लड़ी
तोड़ना मिलकर हमें है "कोरोना"की यह लड़ी !
रौंदकर दुनिया को आकर सामने है यह खड़ी !
"जनता कर्फ्यू"के समर्थन से ये निश्चित हारेगा ,
धैर्य से गर काम लें बीतेगी संकट की घड़ी !!
कवि सुनिल शर्मा"नील"
7828927284
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गुरुवार, 19 मार्च 2020
जीतेगा हिंदुस्तान कोरोना से जंग
जीतेगा हिंदुस्तान,कोरोना से जंग
अगर प्रशासन संग में,जनता होगी संग
जनता होगी संग,करेगी समस्त उपाय
जो बचाव के लिए,गए है हमें सुझाए
ना फैले अफवाह,समय यह भी बीतेगा
सूझबूझ से आपके,हिंदुस्तान जीतेगा !
शनिवार, 14 मार्च 2020
प्रभु का क्रोध कोरोना,,,,
"कोरोना"रोना बना,जग इससे भयभीत
अपने कर्मों की सजा,भोग रहे हम मीत
भोग रहे हम मीत,मूक जीवों को खाया
है पवित्र यह देह,इसे है नर्क बनाया
कर दानव सा काम,किया दूषित हर कोना
समझो तुम संकेत,प्रभु का क्रोध कोरोना!!
मंगलवार, 10 मार्च 2020
प्रेमरंग
माना मजबूर है हम नही पास है !
पर सदा तेरे होने का अहसास है !
रंग जितने चढ़ें सब ही भाए मगर,
प्रेमरंग तेरा उनमें लगा खास है !!
बीजेपी के हुए ग्वालियर के महाराज
महाराज के दांव से,कमलनाथ है दंग !
सत्ता के इस कूप में,आज पड़ गया भंग!
आज पड़ गया भंग,समझ न किसी को आया!
जीता हुआ प्रदेश,राहुल ने है गंवाया !
तज कांग्रेसी रंग,होली में देखो आज
बीजेपी के हुए,ग्वालियर के महाराज!!
शुक्रवार, 6 मार्च 2020
हम वंशज राणा
गजराज जीवन श्वानों का कभी जीया नही करते !
चातक जल धरती का कभी पीया नही करतें !
मिट जाया करतें है हसंते हँसते मातृभूमि के लिए,
हम वंशज राणा के स्वाभिमान से समझौता किया नही करतें !!
रविवार, 23 फ़रवरी 2020
शनिवार, 22 फ़रवरी 2020
हमें ट्रम्प जैसा मूर्ख
माता भारती का चित्र बना हुआ हो विचित्र
हमें कोई ऐसा कभी चित्र नही चाहिए !
जिस इत्र को लगाके हो जाए बीमार हम
हमको कभी भी ऐसा इत्र नही चाहिए !
जिस सूत्र के प्रयोग से न मिले कोई हल
ऐसा हमें कभी कोई सूत्र नही चाहिए ,
दोस्त कह दोस्त के ही,माँ को अपशब्द कहे
हमें ट्रंप जैसा मूर्ख मित्र नही चाहिए !!
शनिवार, 15 फ़रवरी 2020
पतित था मैं बहुत तुमने मुझे,,,,,
कुरूपता को मिटा मुझको है मनभावन बना डाला !
मेरे जीवन को तपते जेठ से सावन बना डाला !
उठाकर पथ से इस पत्थर को देकर प्रीत को अपने ,
पतित था मैं बहुत तुमने मुझे पावन बना डाला !
कभी कोई बाँटकर नफरत,,,
अंधेरे के सहारे न कोई कभी जीत
पाएगा !
रखेगा भेद जो मन में नही वह मीत
पाएगा!
जो बांटोगे यहाँ पर प्रेम राज उसका
सदा होगा,
कभी कोई बाँटकर नफरत नही यहाँ प्रीत
पाएगा !!
कभी पुलवामा की कहानी मत भूलना
खण्ड खण्ड हो गए जो,भारती के रक्षाहेतु
भूलके भी उनकी निशानी नही भूलना!
जिन परिवारों के बुझे चिराग राष्ट्र हेतु
कभी उन नयनों के पानी मत भूलना !
प्रेयसी के केश नही,देश हेतु जिए सदा
ऐसे रणवीरों की जवानी नही भूलना!
सबकुछ भूलजाना तुम मेरे मित्र पर
कभी पुलवामा की कहानी नही भूलना!!
शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2020
खण्ड खण्ड हो गए जो,भारती के रक्षाहेतु
भूलके भी उनकी निशानी नही भूलना
वीरता की तुम वो कहानी नही भूलना !
जिन परिवारों के बुझे चिराग राष्ट्र हेतु
कभी उन नयनों के पानी मत भूलना !
प्रेयसी के केश नही,देश हेतु जिए सदा
ऐसे रणवीरों की जवानी नही भूलना!
सबकुछ भूलजाना तुम मेरे मित्र पर
कभी पुलवामा की कहानी नही भूलना
गुरुवार, 9 जनवरी 2020
मगर कश्मीर फ्री के तख्तियों से
जिसे देखो लगा है दाल वो अपनी गलाने में !
कोई पिकचर चलाने औरकोई सियासत बचाने में !
मगर फ्री काश्मीर की तख्तियों से देश ने जाना,
लगे साजिश में है कुछलोग भारत को जलाने मे !!
शुक्रवार, 3 जनवरी 2020
मुक्तक-धन से रिश्ता
बंधा था नेह डोरी से वो बंधन छोड़ डाला है !
किया वादा जो मुझसे था उसे भी तोड़ डाला है
उसे जब होश आएगा बड़ा पछताएगा उसदिन,
भुलाकर प्यार जिसने धन से रिश्ता जोड़ डाला है!
व्यसन,,,,,
जवानी को चढ़ा जाने अजब सा कैसा ये धुन है !
कोई गांजा,चरस कोई,कोई सड़को पे ही टून है !
दिशा देते जो भारत को वही भटकें स्वयं देखों ,
युवा पीढ़ी को करता खोखला ये व्यसन का घुन है !!