हम निर्वासित अपने घर से,गैर शान से रहतें है ! अत्याचार की स्मृतियों से,ये आँसू हरदम बहतें है ! रोहिंग्या पर बोलने वालों,याद है हम या भूल गए , हम कश्मीर के मूल निवासी,पंडित हमको कहते है !!
-सुनिल शर्मा"नील" थानखम्हरिया 7828927284
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