शनिवार, 4 अगस्त 2018

हम कश्मीर के मूल निवासी,,,

हम निर्वासित अपने घर से,गैर मजें से रहतें है !
दारुण दुःख की स्मृतियों से अक्सर ये आँसू बहतें है !
रोहिंग्या के पैरोकारों,याद है हम या भूल गए,
मूल निवासी हम कश्मीर के,पंडित हमको कहतें है !!

   -सुनिल शर्मा"नील"
      थानखम्हरिया
      7828927284

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें