शनिवार, 25 अगस्त 2018

अटल जी पर कविता

राजनीति का अर्थ विश्व को समझाकर तुम चले गए
क्या होता है जीवन जीना सिखलाकर तुम चले गए!

अहम नही था किंचित तुममें नही किसी से जलते थे
हो परिस्थितियाँ जैसी भी तुम सत्यमार्ग
पर चलते थे
पक्ष और विपक्ष को तुमने एकसमान सम्मान दिया
सदा सियासत में होंठों को प्रेम का तुमने गान दिया
राजनीति के मिथकों को सारे
झूठलाकर चले गए !

जैसे अंदर से थे तुम बाहर से भी वैसा ही दिखते थे
बड़े धुरंधर कवि अटल थे काल कपाल पे लिखते थे
जब भाषण देते थे तुम तो मंत्रमुग्ध सब सुनते थे
कविताओं में सबल राष्ट्र के सपनों को तुम बुनते थे
विश्वपटल पर हिंदी को पहचान दिलाकर चले गए !

सुदूर ग्राम्य को सड़कों द्वारा शहरों से तुमने
जोड़ा था
नापाकी जब हाथ उठे करगिल मे उनको
तोड़ा था
स्वर्णिम चतुर्भुज का जाल तुम्ही ने भारत में था फैलाया
पश्चिम के रोक पर भी दम पोखरण में था दिखलाया
भारत को परमाणुशक्ति देश बनाकर चले गए !

सदियों में कोई तुमसा विरला ही पैदा
होता है
जो कृतित्व से अपने भाईचारा को
बोंता है
जो स्वदेश की खातिर अपना जीवन
अर्पित करता है
भारत माँ के चरणों में सर्वस्व समर्पित करता है
राष्ट्रवाद है सबसे बढ़कर यह बतलाकर
चले गए!


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