सोमवार, 20 अगस्त 2018

एक पुराना मुक्तक

दुनिया बनइया तोर खेल निराला हे
दिखथे सिधवा तेने गड़बड़झाला हे
अब कहा होवत हे मान बने मनखे के
इहा भल करइया हर हाथ म छाला हे|
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया......
21/8/2015

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