कर्म किया करता है कोई,कोस रहा है किस्मत को ! बाँट नफरतें कोई जग में,माँग रहा है उल्फत को ! नादाँ है जो बोंकर काँटे,इच्छा करतें फूलों की, आँसू देकर जग को कोई,सोंच रहा है जन्नत को !! ✍🏻*सुनिल शर्मा"नील"*✍🏻
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