बुधवार, 8 अगस्त 2018

कोस रहा है किस्मत को,,,

कर्म किया करता है कोई,कोस रहा है किस्मत को !
बाँट नफरतें कोई जग में,माँग रहा है उल्फत को !
नादाँ है जो बोंकर काँटे,इच्छा करतें फूलों की,
आँसू देकर जग को कोई,सोंच रहा है जन्नत को !!
  
             ✍🏻*सुनिल शर्मा"नील"*✍🏻

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें