मिटाकर भेद आपस की,दिलों से दिल मिलेंगे जब ! गगन-धरती मिलेंगे फिर,कमलदल उर खिलेंगे तब ! जहाँ मजहब नही पहचान हो सबकी तिरंगे से , बनाएँगे नया भारत,जहाँ मिलकर रहेंगे सब !! मापनी : 1222 1222 1222 1222
-सुनिल शर्मा"नील" थानखम्हरिया
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