मंगलवार, 31 जुलाई 2018

जहाँ मजहब नही पहचान हो,,,

मिटाकर भेद आपस की,दिलों से दिल मिलेंगे जब !
गगन-धरती मिलेंगे फिर,कमलदल उर खिलेंगे तब !
जहाँ मजहब नही पहचान हो सबकी तिरंगे से ,
बनाएँगे नया भारत,जहाँ मिलकर रहेंगे सब !!
मापनी : 1222  1222  1222  1222

-सुनिल शर्मा"नील"
  थानखम्हरिया

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