रिश्तों को शिद्दत से,निभाते रहा मैं ! वफ़ा की खुशबू को,लुटाते रहा मैं ! मैं सबका हुआ,कोई मेरा हो न सका, फूल बाँटकर भी,काँटा पाते रहा मैं !!
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