चंद पंक्तियाँ पापा को समर्पित,,,,
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मेरे दुःख में मुझे हिम्मत,दिलाने कौन आएगा !
चिरागों सा मुझे जलना,सीखाने कौन आएगा !
फँसा जब भी भंवर में मैं,बने पापा सहारा तुम,
तुम्ही गर रूठ जाओगे,मनाने कौन आएगा !
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सुनिल शर्मा"नील"C R
7828927284
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