रिश्तों को शिद्दत से,निभाता रहा मैं ! खुशबू वफ़ा की सदा,लुटाता रहा मैं! जिन्हें अपना समझा,सारे गैर निकले, सबको हँसाकर आंसू,बहाता रहा मैं!!
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