सोमवार, 2 जुलाई 2018

जिन्हें अपना समझा,,,

रिश्तों को शिद्दत से,निभाता रहा मैं !
खुशबू वफ़ा की सदा,लुटाता रहा मैं!
जिन्हें अपना समझा,सारे गैर निकले,
सबको हँसाकर आंसू,बहाता रहा मैं!!

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