सोमवार, 25 जून 2018

फँसा मझधार में था मैं,,,


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बड़ा तन्हा था जीवन मे,सहारा दे दिया उसने !
फँसा मझधार में था मैं,किनारा दे दिया उसने !
मेरे अधरों के बिसरे गीत,फिर से लौट आए है,
मोहब्बत देके पतझड़ को,बहारा दे दिया उसने !!
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सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छ.ग.)
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