है तेरे पाप इतने कि ,कहीं भी धो न पाएगा ! गुनाहों का तू यह बोझा,उम्रभर ढो न पाएगा! मेरे आँखों को दुःखों का,समंदर बाँटने वाले, रुलाकर तू मुझे खुद चैन से कभी सो न पाएगा !!
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