गुरुवार, 7 जनवरी 2016

छत्तीसगढ़ी खानपान के परमुख अंग "भाजी"

हमर छत्तीसगढ़ के पावन भुइया ह जम्मों जिनिस म पोठ हे|इहा संस्कीरति,भाखा,मनखे के सीधवापन अउ ,खान-पान के सेती दुनियाभर म एखर एक बिसेस पहिचान हे|बात छत्तीसगढ़ी खानपान के करे जाय त भाजी बिन गोठ पूरा नई हो सकय|छत्तीसगढ़ी खानपान के परमुख अंग हरय "भाजी"|अलग-अलग पत्ता जेन साग रूप म चुरो के खाय जाथे "भाजी"कहाथे|जतका परकार के भाजी हमर छत्तीसगढ़ म खाय जाथे सायदे दुनिया के दूसर जघा म खाय जात होही|जब घर म कोनो साग नईहे त घर पाछू के नानकुन बखरी(बारी) ले ताजा भाजी टोर के साग बना ले जाथे|ये नानकुन बखरी म आनी-बानी के खाय के पुरती भाजी बोवाय रहीथे|इही कारन हे कि छत्तीसगढ़ के लगभग हर घर म बारी-बखरी देखे बर मिलथे|बारी-बखरी हमर संस्कीरति अउ गांव-गवइ के जनजीवन के परमुख अंग हरय| जेन मनखे एक बेर भाजी के सुवाद ले डरीस तउन एखर सुवाद ल जिनगी भर नइ भूला सकय|छत्तीसगढ़ म आनी-बानी के भाजी(पत्तादार सब्जी)बनाय अउ खाय जाथे जेमा परमुख रूप म पालक,लालभाजी,मेथी,चौलई,भथुआ,चेंच,अमारी,पटवा,चनौरी,तिवरा,बोहार,जरी(खेड़हा जेखर जम्मों भाग ल खाय जाथे),मुरइ,तिनपनिया,चुनचुनिया, करमता अउ बर्रा भाजी(अइसन भाजी जेन म एक ले जादा भाजी मिंझरा रहीथे) मन परमुख हे|एखर अलावा घर के तीर तखार म मिलइया भाजी जइसे चरोटा भाजी,खोटली भाजी ,मुनगा भाजी अउ नार वाले भाजी(जइसे पोइ,कोहड़ा,कांदा भाजी) घलो बड़ा सुवाद अउ चांव से खाय जाथे|अतके भाजी नही लगभग हजारठन भाजी  हवय जेला भोजन रूप म खाय जाथे|मही(खट्टा),रसावाले,दार डारके,बेसन डारके अलग अलग ढंग ले भाजी मन ल पकाय जाथे|कोंचइ के पत्ता ले जब इढ़र कड़ही बनाय जथे त पारा भर ममहा जथे|कईठन भाजी ल घाम म सुखोय जाथे अइसन भाजी "सुकसा"कहाथे जउन बछरभर काम आथे| भाजी जब बनथे तब परोसी ह ममहइ ल जानके एक कटोरी साग मांगे बर नई लजावय|अइसन साग अउ भाजी के लेवइ-देवइ हमर आपसी मया-परेंम ल बढ़ाथे|कतको कांदा,फल अउ दूसर भाग घलो साग बना के खाय जाथे|

"भाजी हरय प्रोटीन अउ बिटामिन के स्रोत" भाजी ह प्रोटीन,बिटामिन,खनिज लवन के परमुख स्रोत हरय|एखर औसधिय महत्व घलो हे|मउसम अनसार एखर भोजन ह मनखे ल सुवस्थ,निरोगअउ पुस्ट बनाथे|रोग ले लड़े के क्षमता भाजी ले मिलथे|भाजी सस्ता अउ सुलभ होय के सेती डॉक्टरमन घलो मरीज ल भाजी खाय बर सलाह देथे|मनखे ल जादा से जादा भाजी के सेवन अपन भोजन म करना चाही|एखर सेवन मनखे ल निरोगी अउ सरीरीक अउ मानसिक रूप म ताकतवर बनाथे|

"होना चाही छत्तीसगढ़ म भाजी के दस्तावेजीकरन"
इतिहासकार अउ छत्तीसगढ़ के प्रमुख बिद्वान ललित शर्मा जी के अनसार छत्तीसगढ़ के बस्तर ले लेके सरगुजा अंचल तक जम्मों छत्तीसगढ़ म भाजी खानपान के परमुख अंग आवय|छत्तिसगढ़ म कम से कम हजारठन भाजी खाय जात होही जेखर दस्तवेजीकरन होना चाही|गायब होवत जात भाजी मन ऊपर सोध के छात्र मन ल घलो सोध करना चाही ताकि पूरा दुनिया म छत्तीसगढ़ के खानपान के परचार हो सकय|

"भाजी के आध्यात्मिक अउ सांस्कृतिक महत्व" भाजी के वैज्ञानिक के संगेसंग आध्यात्मिक महत्व घलो अड़बड़ हे|हमर छत्तीसगढ़ म कमरछठ(लइका के लंबा उमर बर दाइ मन के एक उपास)म दाइ मन उपास ल टोरे के बेर फरहार म छय परकार के भाजी ल मिलाके ओखर साग ल पसहर भात संग खाथे|बिहाव म घलो सारीमन करा ले भाटो ल भाजी खवाय के परम्परा हे|अतके नही तुलसी पूजा(देवउठनी अकादसी)के दिन भगवान म मौसमी भाजी(जइसे चना भाजी)अउ फलफूल चढ़ाय जाथे|भाजी के बड़ई बर सियान मन केहे हे-

"तोर हाथ के भाजी दाइ गांव भर म
ममहाथे
जाने काय अमरित हे एमा मोला अब्बड़
मिठाथे"
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सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा
7828927284
07/01/2016 CR

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