रविवार, 17 जनवरी 2016

छंद के छ(छन्दविद अरुण निगम जी के अनुसार)

छन्द के छ की कक्षा (छन्दविद अरुण निगम जी के अनुसार) मात्रा गणना के सम्बन्ध में कुछ और बातें ऋ की मात्रा लघु याने 1 होती है । चन्द्रबिन्दु जब किसी स्वर या व्यंजन में लगा हो तो मात्रा लघु अर्थात् 1 होती है। हँस 1+1 फँस 1+1 किन्तु अम की मात्रा किसी भी स्वर या व्यंजन को दीर्घ बना देती है जैसे हंस 2+1 कंस 2+1 लघु और दीर्घ कुछ नहीं बल्कि किसी स्वर या व्यंजन के उच्चारण में लगने वाले समय को इंगित करते हैं । लघु के उच्चारण में समझ लो एक चुटकी बजाने जितना समय लगता है और दीर्घ के उच्चारण में लघु से दुगुना समय लगता है । अ के उच्चारण में जितना समय लगता है उससे दूना समय आ के उच्चारण में लगता है। इसीलिए अ लघु है और आ दीर्घ इसी प्रकार अन्य स्वर और व्यंजन उनके उच्चारण के समय के अनुसार लघु और दीर्घ होते हैं। पुनः याद दिला देता हूँ कि अ, इ , उ, ऋ और चन्द्रबिन्दु की मात्रा से बने शब्द लघु होते हैं । कमल 1+1+1 कमाल 1+2+1 कमला 1+1+2 न, म, ङ, ञ , ण अनुस्वार हैं। इनका उच्चारण नाक के प्रयोग से ही होता है। जब ये किसी स्वर या व्यंजन में लगे होते हैं तो उस स्वर या व्यंजन को दीर्घ बना देते हैं । रंग 2+1 संत 2+1 ठंड 2+1 अंब 2+1 पंच 2+1 अब इन्हीं शब्दों को विभक्त रूप में देखें र ङ ग 2+1 स न् त 2+1 ठ ण ड 2+1(यहाँ ण को आधा मानिए क्योंकि की बोर्ड में आधा ण टाइप नहीं हो पा रहा है ) अ म् ब 2+1 प ञ च (यहाँ भी ञ को आधा समझें) नियम वही है जो पहले आपको बताया था। आधा अक्षर अपने पहले वाले अक्षर को दीर्घ बना देता है। आशा करता हूँ कि मात्रा गणना में अब किसी प्रकार का संदेह नहीं रहेगा। शहर छीन कर ले गया, अधरों की मुस्कान उत्सव होते थे वहाँ,पसरा है वीरान यत्र तत्र सर्वत्र है, जहरीला –सा धूम्र सभी घटाते हैं यहाँ, नित्य परस्पर उम्र उगी कँटीली झाड़ियाँ, छाँव हो गई बाँझ धूप नगाड़े पीटती,पवन बजाती झाँझ डामर भी कम हो गया,अब पिघलेगा कौन पगडण्डी के प्रश्न पर, नई सड़किया मौन सुविधा के आगोश में, सिमटे लोग तमाम शहर जान पाया नहीं, सुख है किसका नाम फुरसत फुर से उड़ गई, जीवन भागमभाग कितने ही सम्भाग में, बँटा आज अनुराग जीवन के कंदील का, चटक गया है काँच बाती बाकी ना रही, देखा जब से साँच।। संयुक्ताक्षर में मात्रा गणना भ्रम = भ्र + म = लघु + लघु = १ + 1= २ अभ्रक = अभ् + र + क = दीर्घ + लघु+ लघु= २ + १ + 1 = ४ क्रम = क्र + म = लघु + लघु = १ + १ = २ वक्र = वक् + र = दीर्घ + लघु = २ + १ = ३ प्रलय = प्र + ल + य = लघु+ लघु + लघु = १ + १ + १ = ३ विप्र = विप् + र = दीर्घ +लघु = २ + १ = ३

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें