सोमवार, 4 जनवरी 2016

कब तक(मुक्तक)

"""कब तक"""
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
कब तक सपूत भारत माँ के यूँ ही
खून बहाएँगे
और हम राग शांति का ले दुश्मन
से हाथ मिलायेंगे
हर जुबान पे एक सवाल जिनका
अपना शहीद हुआ
अंधेरो से लड़कर कब तक जुगनू
अपनी जान गवाएँगे|
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
(कब तक इस लंगड़े घटिया सिस्टम और दोस्ती की नामुमकीन आस में हमारे सपूत मरते रहेंगे...अब बहुत हुआ)
सुनिल शर्मा "नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा
7828927284
04/01/2015
CR

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें