गुरुवार, 24 अक्तूबर 2019

प्यार तू अपार दे,,,

अंधकार में न कहीं,गुम जाए तेरा पुत्र
उंगली पकड़के माँ, मुझको उबार दे !

जात-पात,ऊंच-नीच, के गिरा दीवार सारे
बैर भाव को मिटाके, प्यार तू अपार दे !

बनके कटार करे, देशद्रोही का सँहार
लेखनी को शारदे प्रखर ऎसी धार दे !

सच को सदा ही लिखे,स्वार्थ में कभी न बिके,
राष्ट्रहित में ही मेरी लेखनी को वार दे !!

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