सोमवार, 4 सितंबर 2017

कान्हा आ जाओ

(रचनाकार-सुनिल शर्मा "नील",थान खम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
कलयुग में बढ़ते पाप और भगवान् कृष्ण की वर्तमान में आवश्यकता की सार्थकता को प्रदर्शित करती मेरी रचना,कृपा कर बिना रचनाकार के नाम से काटछाट किए बिना शेयर करें..................
कान्हा आ जाओ
प्रेम की राह जग को दिखाने आ जाओ
कान्हा तुम सबके कष्ट मिटाने आ जाओ|

तुमने यमुना के लिए मारा था कालिया को
यहाँ हर नदियाँ प्रदूषित बचाने आ जाओ|

मित्रता भी होती है हैसियत देखकर यहाँ
पाठ सच्ची मित्रता का पढ़ाने आ जाओ|

तेरी प्यारी लाखो गउऐं कटती है हर रोज
प्राण उनके काल से छुड़ाने आ जाओ|

लूटती है अस्मत रोज बहनों की चौक पर
लाज दुशासनों से उनकी बचाने आजाओ|

पुरुषत्व मौन है हर अर्जुन के अंदर आज
उपदेश गीता का फिर सुनाने आ जाओ|

मौजूद हर घर पापाचारी शिशुपाल यहाँ
धार सुदर्शन की इन्हें दिखाने आ जाओ|

परिभाषा बदल दी प्रेम की कामकीड़ों ने
अर्थ सच्चे प्रेम का इन्हें बताने आ जाओ|

मारा था द्वापर में तुमने हत्यारे कंश को
भ्रूण के हत्यारो को भी चेताने आ जाओ|

कौरव ताकतवर सही इस कलयुग में
सत्यरुपी पांडवों को जिताने आ जाओ|

सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया,बेमेतरा
(छत्तीसगढ़)
7828927284
9755554470
रचना-05/09/2015
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