सोमवार, 16 जनवरी 2017

लौटना है राही को

लौटना है"राही"को......
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चंद टुकड़े कागज के पाकर
इतराता है आदमी
इसे पाने रिश्तों का लहू
बहाता है आदमी
ये जानकर लौटना है"राही"
को एक दिन
जाने क्यों "घर" सराय को
बताता है आदमी!
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सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़)
78289272846
Copyright
16/01/2017

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