शमशीर कलम यदि,,,,,,
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शमशीर कलम यदि कर लो तुम,तस्वीर बदल ही जाएगी
पापों की लंका वारों से,निश्चित तेरे जल
जाएगी
मिट जाएंगे सन्त्रास सभी,मजलूमों और
मासूमों के
लौटेगा तब त्रेता उस दिन,औ धन्य धरा
हो जाएगी!
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कवि सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया,बेमेतरा(छ.ग.)
7828927284
11/01/2017
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