मंगलवार, 24 जनवरी 2017

कलम लोभ लिखे

"कलम पीड़ा नही लोभ लिखे"
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जब अखबारों में झूठ दिखे
कलम पीड़ा नही लोभ लिखे
लोकतंत्र को लगता "ग्रहण"है
अंधेरों को कभी जो सूरज बिके|
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सुनिल शर्मा "नील"
थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़)
7828927284
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23/01/2017

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