मोर पंख
बुधवार, 28 अगस्त 2024
पापा
बहुत मन था मुझे बचपन सा गोदी में बिठाते फिर |
सबल कंधों में लटकाकर मुझे झूला झूलते
फिर |
अधूरी अब रहेंगी ये मेरी ख्वाहिश सदा पापा
|
बहुत मन था मुझे सीने से बेटा कह लगाते तुम
||
सुनिल शर्मा नील
सोमवार, 26 अगस्त 2024
गोविंद नाम(जन्माष्टमी पर मत्तगयंद छंद)
अंतस होय उजास करे मन
पावन नाम मिटावय जाला |
कौन कृपाल कहां इन सा
सबके मुख को यह देत निवाला |
कर्म प्रधान दिया उपदेश
पढ़े जग ग्रंथ महान निराला |
नील कहे भज ले जप ले यह
गोविंद नाम बना मनमाला ||
कवि सुनिल शर्मा नील
बेमेतरा छत्तीसगढ़
कापीराइट
नील केजीवन में नया करो
चक्कर चौरासी के लगाके घनचक्कर हूं
चक्रधारी चाकर पे अब तो दया करो
विरह के व्याल बार- बार डसते है मुझे
वासुदेव मौन क्यों हो कुछ तो बयां करो
दृष्टि से नेह वृष्टि करो नाथ सृष्टि के
छोड़ सब आज काज मेरी कृपया करो
बूझे दीप खुशियों के जीवन वृथा सा लगे
गतिहीन नील के जीवन में नया करो
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