सोमवार, 26 अगस्त 2024

नील केजीवन में नया करो

चक्कर चौरासी के लगाके घनचक्कर हूं
चक्रधारी चाकर पे अब तो दया करो

विरह के व्याल बार- बार डसते है मुझे
वासुदेव मौन क्यों हो कुछ तो बयां करो

दृष्टि से नेह वृष्टि करो नाथ सृष्टि के
छोड़ सब आज काज मेरी कृपया करो

बूझे दीप खुशियों के जीवन वृथा सा लगे 
गतिहीन नील के जीवन में नया करो






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