मोर पंख
बुधवार, 28 अगस्त 2024
पापा
बहुत मन था मुझे बचपन सा गोदी में बिठाते फिर |
सबल कंधों में लटकाकर मुझे झूला झूलते
फिर |
अधूरी अब रहेंगी ये मेरी ख्वाहिश सदा पापा
|
बहुत मन था मुझे सीने से बेटा कह लगाते तुम
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सुनिल शर्मा नील
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