मोर पंख
मंगलवार, 27 अक्टूबर 2020
तुझे मैं जान से बढ़कर स्वयं से,,,
नही जब बात हो पाती कभी तुमसे मैं डरता हूँ !
तुझे मैं खो न दूँ यह सोंचकर सावन सा झरता हूँ !
मुझे जीना सिखाकर हाथ मेरा छोड़
ना देना,
तुझे मैं जान से बढ़कर स्वयं से प्यार
करता हूँ !!
शनिवार, 24 अक्टूबर 2020
तब राम ,राम से श्रीराम बन पाता है,,,,
दुःख को भी सुख जैसे करें आप शिरोधार्य
आया है जो एकदिन लौटकर जाता है!
पावस में सूर्य भी तो छुप जाता बादलों में
किन्तु उन्हें चीरकर बाद मुस्काता है!
अंधियारा लिखता उजाले की है पटकथा
चक्र यह दिनरात का हमें बताता है !
सहकें सहस्त्र कष्ट वन के न खोते धैर्य
तब राम,राम से "श्रीराम" बन पाता है !!
गुरुवार, 15 अक्टूबर 2020
गंगाजल होती नारियाँ
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जिन विपदाओं से पुरुष भी है हार जातें
उन कठिनाइयों का हल होती नारियाँ!
नारियाँ दया व प्रेम,ममता की होती खान
सृष्टि का आज और कल होती नारियाँ!
नारियाँ ही जन्म देती भगत-शेखर-शिवा
राष्ट्रों का सदा आत्मबल होती नारियाँ!
जिस घर भी ये जन्म लेती वो पवित्र होता
तार देने वाली गंगाजल होती नारियाँ!!
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सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
8839740208
सर्वाधिकार सुरक्षित
सोमवार, 12 अक्टूबर 2020
एकमामले में मौन
एक मामलें में मौन,दूसरे में बोलतें है
रोतें है वहाँ पे जहाँ दिखे इन्हें वोंट है!
दर्द हाथरस वाला दिखता इन्हें परंतु
करौली के न दिख रहें कोई इन्हें चोंट है!
दोहरेपन वाली जाने कैसी ये सियासत है
जिसमें स्वार्थ का ये कर रहें विस्फोट है!
आप न बताये पर देश ये समझता है
आपके चरित्र में नेताजी बड़ा खोट है!!
सुनिल शर्मा"नील"
थान खम्हरिया(छत्तीसगढ़)
शनिवार, 10 अक्टूबर 2020
बजरंग बली का चरित्र,,,,,
करना प्रसन्न आप चाहतें है राम जी को
मातपिता के चरण धाम मान लीजिए!
चाहतें पहुंचना जो बैकुंठ के द्वार तक
भक्ति और प्रेमवाला ,आप यान लीजिए!
जानने से पहले चरित्र राम जी का मित्र
बजरंगबली का चरित्र जान लीजिए!
राम जी मिलेंगे तुम्हे इतना सुनिश्चित है
पहले हनुमान जैसा होना ठान लीजिए!!
कवि सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया(छत्तीसगढ़)
8839740208
सर्वाधिकार सुरक्षित
शनिवार, 3 अक्टूबर 2020
लाल लाल कर आँखें,,,,,
लाल-लाल कर आंखें,कहा हनुमान जी ने
आज इस जलधि को,पल में सूखा दूं मैं!
पीकर समूचा जल,पथ को बना दूं और
सेना को श्रीराम जी के,पार पहुंचा दूं मैं!
सेना भी जरूरी नही,राम जी करें आदेश
स्वयं के ही दम पर,लंका को उड़ा दूं मैं!
किंतु मेरे राम जी का,रोक देता प्रण मुझे
नही तो रावण मार,सीता माँ को ला दूं मैं!!
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