शनिवार, 9 नवंबर 2019

रामलला पर दोहावली,,,,,,

सपने देखे थे कभी,आज हुए साकार !
मंदिर मेरे राम का,लेगा अब आकार !

खुशियों से भींगे नयन,फूटी है जलधार,
रामलला को मिल गया,मंदिर का अधिकार!!

महलों में थे हम सभी,तंबू में थे राम
पाने में वर्षों लगें,उनको अपना धाम

प्रभु जी के वनवास का,आज हुआ है अंत
नमन सभी के त्याग को,क्या नेता क्या संत

मना रहा है दीवाली,भारत दो-दो बार
न्यायालय के न्याय को,नमन सैकड़ो बार

हिन्दू-मुस्लिम धैर्य को,शत-शत मेरा प्रणाम
अनुशासन अरु प्रेम का,दिया गजब पैगाम

भड़काए जो धर्म पर,उनको मिले जवाब
पसन्द नही यह देश तो,पाक में रहें जनाब

यह कलाम का देश है,रहें यहाँ रसखान
जिनको भारत देश ने,सदा दिया है मान

जिन्ना जैसा व्यर्थ न,करिए आप प्रलाप
भारत सारा जानता,कितने विषधर आप!!



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