शुक्रवार, 8 नवंबर 2019

सियासत के बिसात में,,,

यहाँ कब किसका बदल जाए मन पता नही!
कौन यहाँ मलिन और कौन पावन पता नही !
सियासत के इस खेल में स्वार्थ ही सबकुछ है,
इसमें दोस्त कब बन जाए दुश्मन पता नही!!

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