रविवार, 3 नवंबर 2019

रोटियाँ भले ही खाले घास के,,,,

भारती के वीरपुत्र,रण में बहाते लहू
भारती के दूध को,लजाया नही करते

रणभू में बोलती है,शौर्य उनकी सदा ही
शत्रुओं को पीठ वे,दिखाया नही करतें

जीतता पराक्रम या,वरते है काल को वे
स्वाभिमान को कभी,गँवाया नही करते

रोटियां भले ही खा लें,घास के परन्तु 'राणा'
शत्रु के समक्ष सिर,झुकाया नही करते !!

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