नही सजनी व साजन के,कभी मैं गीत लिखता हूँ ! नही लैला व मजनू की,कभी मैं प्रीत लिखता हूँ ! वतन ही आन है मेरी,वतन ही जान है मेरा , सदा मैं मुल्क को अपने,हृदय का मीत लिखता हूँ!!
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