शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2018

मुल्क को मीत लिखता हूँ,,,,

नही सजनी व साजन के,कभी मैं गीत लिखता हूँ !
नही लैला व मजनू की,कभी मैं प्रीत लिखता हूँ !
वतन ही आन है मेरी,वतन ही जान है मेरा ,
सदा मैं मुल्क को अपने,हृदय का मीत लिखता हूँ!!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें