बुधवार, 10 अक्तूबर 2018

न बहकूँ धर्मपथ से भी,,,,

मिटा दुःख के अंधेरों को,तू सुख जीवन में भर
दे माँ !
है संकट जो भी जीवन में,उसे तू दूर कर
दे माँ !
शिखर पर जब कभी पहुँचूँ,तनिक न दर्प
छू पाए,
न बहकूँ धर्म पथ से भी,मुझे तू ऐसा वर
दे माँ !!
-----------

-सुनिल शर्मा"नील"
   CR

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें