.........................................
पावन होली पर्व यह,देता है संदेश
सबको बाँटे प्रेम हम,किंचित ना हो क्लेश!
भस्म करे हम द्वेष को,करें स्वार्थ का नाश
तब ही होगा स्वर्ग सा,धरती में आभास!
नंगाड़ों के थाप सा,जीवन में हो राग
धवल रहे सबका चरित्र,न रहे कोई दाग!
पकवानों से हो मधुर,मीठे सबके बोल
शिकवे सारे भूलकर,सबसे मिल दिलखोल!
नारंगी-पीला-हरित, विविध उड़ाए रंग
लेकिन उर में हम सदा,रखे"तिरँगा"संग!
रखें नियंत्रित हम सदा,वाहन की रफ्तार
है जीवन अनमोल यह,बात यही है सार!
शुचिता हो परिवेश में,शुचिता हो संस्कार
शुचिता ही हो ज्ञान में,जीवन का आधार!
"नील"कहे मद्यपान से,टूट रहे परिवार
बिना व्यसन के मानिए,होली का त्यौहार!
*************************
सुनिल शर्मा"नील"
थानखम्हरिया
7828927284
सर्वाधिकार सुरक्षित
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें