रविवार, 17 दिसंबर 2017

गधा मन माल,,,

गधहा मन माल उड़ावत हे
बघवा मन कांदी खावत हे
पढ़े लिखे मन ठलहा हे इहा
अउ अंगूठाछाप देश चलावत हे!

1 टिप्पणी: