गुरुवार, 10 अगस्त 2017

सरदार तिरंगा

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दुनियां में सरदार तिरंगा ।
अपनों पर है भार तिरंगा ।
चाहे आए कोई दुश्मन
हरदम है तैयार तिरँगा!
जो भी आये मुँह की खाए
लहराया हर बार तिरंगा!
जिसकी खातिर चूमे फाँसी
उन वीरों का प्यार तिरंगा!
तोड़ गुलामी की जंजीरें
फूटी बन जलधार तिरंगा!
ऊँचें नीचे पथ पे चलकर
हुई है सत्तर पार तिरंगा
त्याग तपस्या का परिचायक
सब धर्मों का सार तिरंगा
दुनिया में है न्यारा सबसे
धरती का श्रृंगार तिरंगा!
नही किसी से लड़ता पहले
यारो का है यार तिरंगा
पर जब बात आन की हो तो
बन जाता खूंखार तिरंगा!
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मापनी : 22  22  22  22
काफ़िया : " आर "
रदीफ़ : " तिरंगा "

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सुनीलशर्मा नील

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